श्री तुलसीदास जी कृत रुद्राष्टकम् नमामी शमीशान निर्वाणरूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपम्, निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहं ॥ 1 ॥ .. →