गुरु वन्दना

गुरुदेव सुनो, मैं पड़ा यहां, सिर रखे तुम्हारे चरणों में, इनका ही सहारा रखना सदा, रहूं पड़ा तुम्हारे चरणों में ।

संसार भवर की माफिक है, कहीं डूब न जाऊं बल देना, जब नैया डोल उठे मेरी, तब तू ही मुझे संबल देना ।

औरों के बहुत सहारे हैं । पर मेरा सहारा कोई नहीं, औरों के गुजारे और भी हैं, पर मेरा गुजारा और नहीं ।

आँखें न तरसने लगे कभी, गुरूदेव तुम्हारे दरसन को, मन में सूरत रखना अपनी, दिल मेरा तेरा दरपन हो ।

अनजाने में अपराध बने, तुम क्षमा भाव अपना लेना, अनजान जान कर सेवक को, चरणों में अपनी जगह देना ।