जय प्रेतराज धिराज राजा कृपा इतनी कीजिये हम द्वार तुम्हारे आ पड़े, हे नाथ शरण में लीजिये। सुनलो विनय सरकार, करूणागार, भगवन् दुःख हरी। संकट सताते नित प्रभु, ह नाथ, अब संकट हरी। जय प्रेतराज धिराज राजा कृपा इतनी कीजिये। हम द्वार तुम्हारे आ पड़े, हे नाथ शरण में लीजिये।
सिर पर सुहाना मुकुट, गल धारे मणिमाल है। रूप लुभावन जगत मोहक, काटत संकट जाल है। जब काल बन, विकराल बन दुष्टों पे फेंकत जाल है। तब जिन्नादि कैद होते होते सब बेहाल हैं। – जय प्रेतराज धिराज राजा कृपा इतनी कीजिये हम द्वार तुम्हारे आ पड़े, हे नाथ शरण में लीजिये ।
तुम वीर हो, रणधीर हो, प्रभु सकल सुख के धाम हो । दुष्टों के मारणहार तुम, संकट हरण घनश्याम हो । न बुद्धि है, न ज्ञान है, प्रभु हम हैं अधमाधम निरें । अज्ञान का स्वामी नाश कर दो, चरणों में हैं आ गिरे। जय प्रेतराज धिराज राजा कृपा इतनी कीजिये । हम द्वार तुम्हारे आ पड़े, हे नाथ शरण में लीजिये ।
सुयश स्वामी विश्वव्यापक, श्री भैरों सेर अब धाम है। हम हैं मनोरथ लेकर आये, आप पूर्ण काम हैं। लीला निराली आपकी महिमा तो अपरम्पार है। जो ध्यान तुम्हारा धरते हैं बस उनका बेड़ा पार है। जय प्रेतराज धिराज राजा कृपा इतनी कीजिये हम द्वार तुम्हारे आ पड़े, हे नाथ शरण में लीजिये
जो चित्त चरणों में लगाता और स्नान कराता है। ध्यान धरता दूध चढ़ाता संकट से छुट जाता है। उसकी इच्छा पूरी करते दुःख सभी हर लेते हो । कष्टों से छुटकारा होता सुख व सम्पति देते हो । जय प्रेतराज धिराज राजा कृपा इतनी कीजिये | हम द्वार तुम्हारे आ पड़े, हे नाथ शरण में लीजिये।
पूरी करो इच्छा सभी, हे नाथ करुणागार हो । दरबार में हाजिर तुम्हारे, अब तो बेड़ा पार हो । कब से प्रभु हम हैं पड़े हे नाथ दर्शन दीजिये । द्वारे तुम्हारे हैं खड़े हे नाथ शरण में लीजिये । जय प्रेतराज धिराज राजा कृपा इतनी कीजिये । हम द्वार तुम्हारे आ पड़े, हे नाथ शरण में लीजिये ।