अनन्तशायी शयन स्तुति
हे सर्वेश्वर – हे परमेश्वर, पदमनाभं अन्तरयामी
जगती तल के तम को समेटो, आनन्द से फिर सोओ स्वामी
जगत अन्धेरा तम भारी है, तुम बिन कौन मिटाएगा
अपने शयन में इसे समेटो, जग रोशन हो जाएगा – 2
निद्रा तुम्हारी एक बहाना, सोते ब्रह्माण्ड सजाने को
कण – कण में तुम बसे हो स्वामी, करते ऐसे बहाने हो
सच मुच सबको निद्रा सताये, माया मोह में सब भरमाए
हमारी निद्रा हर लो स्वामी, हे परमेश्वर जग के स्वामि – 2
प्रभु फिर तुम चैन से सोना, रैन भई मूंदो अब नयना
चैन से सोवो मेरे स्वामि, पदमनाभम् आनंद स्वामि – 2
ॐ पद्मनाभाय नमः | 7. ॐ केशवाय नमः |
ॐ लक्ष्मीकान्ताय नमः | 8. ॐ माधवाय नमः |
ॐ अनन्तशायिने नमः | 9. ॐ अच्युताय नमः |
ॐ वासुदेवाय नमः | 10. ॐ चक्रधराय नमः |
ॐ हरये नमः | 11. ॐ गदाधराय नमः |
ॐ जगतपालकाय नमः | 12. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः |
पर्व : श्री विष्णु शयनोत्सव ( हरिशयनी एकादशी )
रविवार, 6 जुलाई 2025