जागृहि जागृहि हे नारायणअनन्तशायी पदमनाभम्चिर से श्यन मुद्रा.. →
भजन संग्रह
जय गुरुदेव – श्री गुरु वन्दना
जय गुरुदेव, जय गुरुदेव, जय गुरुदेव, जय जय गुरुदेव
गुरु हैं.. →
अनन्त श्यन भजन
सोइये हे अनन्त अब, निशा छा रही,मंयक नभ में दिख रहे, प्रभा है.. →
प्रभु का श्यनदिन
श्यन करो प्रभु, प्रेम से हुई तुम्हारी रात,तब तक सपनों में.. →
गुरु वन्दना
गुरुदेव सुनो, मैं पड़ा यहां, सिर रखे तुम्हारे चरणों में, इनका ही सहारा रखना सदा, रहूं पड़ा तुम्हारे चरणों में ।.. →
लगाले प्रीत भगवन से
लगाले प्रीत भगवन से, वही मुक्ति के दाता हैं,
विधाता हैं.. →