जागृहि जागृहि हे नारायण
अनन्तशायी पदमनाभम्
चिर से श्यन मुद्रा में हो तुम
जगती विकल भई प्रभु तुम बिन
हे नारायण जय नारायण
जागृहि जागृहि हे नारायण
हरो जगत का प्रभु अन्धियारा
तुम बिन दीखे न कोई सहारा
हे माधव हे गोविन्द जागो
हे वेकंटेश अब निद्रा त्यागो
हे नारायण जय नारायण
जागृहि जागृहि हे नारायण
हे नृसिंह हे विश्व विधाता
हे केशव हे जगती त्राता
वासुदेव हे लक्ष्मी स्वामि
विनय करें अब जागो स्वामि
हे नारायण जय नारायण
जागृहि जागृहि हे नारायण
अण्डाल के स्वामि जागो
भू पति जागो श्री पति जागो
शिव प्रिय जागो ब्रह्मा प्रिय जागो
भृगु अंश जगावे निद्रा त्यागो
हे नारायण जय नारायण
जागृहि जागृहि हे नारायण
कालातीत भृगु तुम्हें निहारे
शैया त्यागो सब जन प्यारे
उमा विकल भई दरसन को
नारद तरस गए नर्तन को
हे नारायण जय नारायण
जागृहि जागृहि हे नारायण
वीणा के स्वर झंकृत करते
देव दानव सब स्तुति करते
जय नारायण हे नारायण
जागृहि जागृहि जय नारायण
हे नारायण हे नारायण
जागृहि जागृहि जय नारायण
शिव का डमरु बज रहा स्वामि
शंख ध्वनि सुनो अन्तरयामी
घण्टे व घडियाल बज रहे
गन्धर्व आदि नर्तन कर रहे
हे नारायण जय नारायण
जागृहि जागृहि हे नारायण
जागो नाथ अब नयन उघारो
दीनबन्धु अब भयो उजियारो
भगत गणों के आरत टारो
दीनानाथ सब को उद्धारो
हे नारायण जय नारायण
जागृहि जागृहि हे नारायण
हे नारायण हे सर्वेश्वर
जागो जागो नाथ दयाकर
परमेश्वर तुम अन्तरयामी
दूर करो दुःख लक्ष्मी स्वामि
हे नारायण हे नारायण
जागृहि जागृहि हे नारायण