राम राम की रटन लगा ले

राम राम की रटन लगा ले
न कोई बन्धू – न सुत दारा
न शत्रु को – न को प्यारा
जीवन तो समता से वीते
न तो घट रह जाए रीते
लोभ मोह दानव भयंकर
काम क्रोध घट बैठे छिप कर
धक्का दो तो भी न निकसे
ये चारों डरते हैं तप से
नाम जपो निसदिन हरिहर का
जीवन में तब रहे न खटका
साँस साँस में नाम रमा ले
प्रभु मन में तू जगह बना ले
पंचतत्त्व की तेरी काया
नाशवान सब प्रभु की माया
उस माया को दूर भगा ले
राम राम की रटन लगा ले
जय सिया राम – 5
शनिवार , 15 मार्च 2025