श्री भगवान शंकर के भ्रूमध्य से प्रकट प्रलयंकर भैरव जिन्होंने श्री ब्रह्मा जी का पाँचवा सिर अपने नखों से विदीर्ण कर नोंच डाला था का परिचय शास्त्रों में मुक्तिदायिनी काशी के वासी के रूप में दिया जाता है तथा विश्वेश्वर की इस नगरी के रक्षक के रूप में (कोतवाल) इन्हीं की मान्यता है।