छ- मामभिरक्षय रघुकुल नायक धृत बर चाप रुचिर कर सायक ।।
मोह महा घन पटल प्रभंजन । संसय बिपिन अनल सुर रंजन ||
अगुन सगुन गुन मंदिर सुंदर । भ्रम तम प्रबल प्रताप दिवाकर ||
काम क्रोध मद गज पंचानन । बसहु निरंतर जन मन कानन ॥
बिषय मनोरथ पुंज कंज बन । प्रबल तुषार उदार पार मन ||
भव बारिधि मंदर परमं दर । बारय तारय संसृति दुस्तर ।।
स्याम गात राजीव बिलोचन । दीन बंधु प्रनतारति मोचन ||
अनुज जानकी सहित निरंतर । बसहु राम नृप मम उर अंतर ॥
मुनि रंजन महि मंडल मंडन । तुलसिदास प्रभु त्रास बिखंडन ||